Poetry

एक अन्वेषक

अनंत यात्रा का यात्री हूँ #मैं,
स्वयं को ढूँढता #राही हूँ मैं,
असंख्य जीवों में भी, परम #परिचित हूँ मैं,
फिर भी स्वयं से #अनभिज्ञ हूँ मैं॥

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